Saturday, March 7, 2020

सुरिन्द्र मनकोटिया ने कहा- हिमाचल प्रदेश सरकार का मार्च टवंटी का बजट टवंटी-टवंटी मैच की तरह ही खत्म


कर्मचारी कल्याण बोर्ड  के पूर्व उपाध्यक्ष सुरिन्द्र मनकोटिया ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार का मार्च टवंटी का बजट टवंटी-टवंटी मैच की तरह ही  खत्म हो गया।  नाम मात्र दिहाड़ी और मानदेय बढ़ाने जो कांग्रेस की सरकारों के समय से ही बढ़ाने की परम्परा चली आ रही है के सिवाए किसी भी श्रेणी के लिए कुछ नहीं किया। हां,
एक नया रिकार्ड बनाया कि मुख्यमंत्री ने 25 जनवरी  50वें पूर्ण राजस्व दिवस के अवसर पर झंझुता में दिए गये 5% डीए को दोबारा दे दिया।बंदरों , आवारा पशुओं और जंगली जानवरों की वजह से किसानों और बागवानों ने फसल वोना बंद कर दी है जिस कारण वो कर्ज में डुबे हैं पर बजट में इस संकट से निपटने के लिए तथा किसानों के  उत्थान के लिए कुछ नहीं किया।2004 के बाद लगे  कर्मचारियों की पुरानी पैंशन स्कीम की पुनर्वहाली पर, सैंटर के पैट्रन पर पे रवीजन पर, 4-9-14 वर्ष बाद मिलनेवाली वेतनवृद्धि पर, पैंशनरज़ की 5-10-15 वर्ष बाद मिलने वाली वेतनवृद्धि को मूल पैंशन में सम्मिलित करने पर तथा भत्ते जो सालों से नहीं बढ़े हैं उन्हें बढ़ाने पर  बजट में कोई बात नहीं कही गई। मनकोटिया ने आगे कहा कि बजट में बेरोजगारी को दूर करने के लिए, युवाओं को  नशे की गिरफ्त से बाहर निकालने के लिए, महिला सुरक्षा के लिए, अपराध, खनन माफिया, वन माफिया ड्रग और नशा माफिया पर अंकुश लगाने के लिए, रसोई गैस व रसोई घर से सम्बंधित वस्तुओं की किमतों को कम करने के लिए इस बजट में कु छ नहीं है।वेस्टर्स मीट को बजट में भी  महिमामंडित किया  परन्तु परिणाम की कोई झलक  नजर नहीं आ रही क्योंकि न बड़े औद्योगिक घराने आए न रोजगार आया।  भय व डर के माहौल और बिगड़ती अर्थव्यवस्था के कारण कोई निवेश करने को तैयार ही नहीं। कुल मिलाकर बात की जाए तो किसी को भी इस बजट से कुछ नहीं मिला। यह सिर्फ आंकड़ों की जादूगरी  है। जिस कारण हिमाचल का हर वर्ग और तवका नाराज है।

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