कर्मचारी कल्याण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र मनकोटिया ने कोरोना महामारी में फ्रंट फुट पर लड़ने वाले फ्रंट फुट वारयरज़ की,बीजेपी सरकार कोई सुध नहीं ले रही है और न ही कोई सहूलियत दी जा रही है जिन आशा वर्कर ने सबसे आगे आकर अपनी जान जोखिम में डालकर हर घर में दस्तक दी है उनको नाम मात्र का मानदेय देकर उनका मजाक उड़ाया है यह उनके मान सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला कदम है सरकार को आशा वर्कर और आंगनवाड़ी वर्कर को कम से कम ₹20000 प्रतिमाह देना चाहिए। दोनों ही श्रेणियां अग्रिम पंक्ति में आकर गांव और मोहल्ला के हर घर में जाकर इस आकस्मिक आपदा के समय में इन्होंने बहुत ही सराहनीय कार्य किया है उसके लिए यह पारितोषिक के हकदार हैं परंतु सरकार आशा वर्कर और आंगनवाड़ी वर्कर को प्रोत्साहन राशि देने और प्रोत्साहित करने के बजाए उनका मखौल उड़ा रही हैं जिससे वे निरूत्साहित हो रही हैं ।
इसी तरह जैसा कि मुख्यमंत्री महोदय कल विधानसभा में कहा कि पुलिस में भर्ती सिपाहियों को नियमित करने के लिए 8 साल की आवश्यक सेवा काल को कम नहीं किया जाता है वह भी दुर्भाग्यपूर्ण और चिंता का विषय है जबकि सारे कर्मचारी पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह द्वारा बनाए गए नियमों के तहत 3 साल में नियमित हो रहे हैं तो पुलिस वालों को भी 3 साल में ही नियमित करना चाहिए। पुलिस कर्मचारी जब सब लोग घर में सो रहे थे तो यह अपनी जान हथेली पर रखकर फील्ड में ड्यूटी दे रहे थे ।
मनकोटिया ने आगे कहा की परिवहन मंत्री द्वारा क्रोना महामारी के दौरान जब हर महिला पुरुष युवा बच्चे तंगी में हैं तो परिवहन मंत्री श्री विक्रम ठाकुर द्वारा स्कूटी,स्कूटर,बाइक, कार अन्य सभी गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन फीस बढ़ाना एक तुगलकी फरमान है और जजिया कर से कम नहीं है यह इनकी मानसिकता को चरितार्थ करता है पहले बसों की किराया बढाना और अब गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन फीस बढ़ाना बीजेपी सरकार की तानाशाही को दिखाता है जिसका हर कदम पर विरोध किया जाएगा। कोरोना महामारी में लाखों युवा अपना रोजगार छोड़कर हिमाचल प्रदेश में वापस आए हैं और आजकल मनरेगा में काम कर रहे हैं क्या ऐसे युवा साथी बढ़ी हुई रजिस्ट्रेशन फीस का बोझ सहन कर पाएंगे, वह कतई भी इस तुगलकी फरमान को सहन करने के योग्य नहीं हैं। इसलिए यह आदेश वापस किए जाएँ।
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