Sunday, February 28, 2021

बढ़ती महंगाई, विधायकों को निलंबित करना और उन पर केस दर्ज करने पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने जयराम ठाकुर का फूंका पुतला



पूर्व कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह मनकोटिया ने कहां की पहले विधानसभा उपाध्यक्ष तथा मंत्रियों   द्वारा विपक्ष के नेता श्री मुकेश अग्निहोत्री के साथ धक्का-मुक्की करना, उन पर  केस न करके  कांग्रेस के  5  विधायकों को  निलंबित करना और उन पर केस दर्ज करना, फिर सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ता द्वारा पुतले फूकना, बीजेपी सरकार की गुंडागर्दी व तानाशाही रवैये को दर्शाता है।  यह  नादिरशाही नहीं चलेगी।   उपरोक्त के विरोध में आज यह विरोध प्रदर्शन किया गया व जयराम ठाकुर  का पुतला फूंका गया।

      विधानसभा में विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास किया गया और राज्यपाल महोदय द्वारा गवर्नर स्पीच को पूरा न पढ़ना निंदनीय है। यह इस बात को दर्शाता है कि सत्ता में बैठी सरकार के पास बताने लायक कुछ भी नहीं है और वह विधानसभा में  बहस से भाग रही है। विपक्ष के  नेता ने सिर्फ इस बात को गवर्नर साहब से कहा कि आपने  पूरा भाषण क्यों नहीं पड़ा। परंतु सत्तापक्ष के विधायक व विधानसभा उपाध्यक्ष पहले गुंडागर्दी पर उतर आए, तानाशाही दिखाने लगे और फिर विधानसभा से बाहर हुए घटनाक्रम को चंद मिनटों में ही विधानसभा के अंदर के नियम लगाकर 5 विधायकों का निलंबित कर दिया गया।

   


    जब कांग्रेस शासन में विरोध किया  था और कई कई दिनों तक विधानसभा या सांसद नहीं चलने नहीं जाती थी, तब वह सामान्य बात थी और अब हम महंगाई, बढ़ते डीजल व पेट्रोल के दाम, बढ़ती कीमतें, किसानों के काले कानून पर बात करते हैं तो  इस पर कोई बात न कर वर्तमान सरकार अपनी जिम्मेवारी से भाग रही है।

      आज किसान सड़कों पर है,  पेट्रोल और डीजल के दाम शतक मारने पर उतारू है,  डीपू के राशन की कीमतें बढ़ा दी, बस किराया 25 प्रसेंट बढ़ा दिया,  सीमेंट का रेट हर महीने बढ़ रहा है, कर्ज  60000 करोड़ पार कर  गया है, मंत्रियों के बच्चों के लिए गाड़ियां खरीदी जा रही हैं,  खनन, वन, ड्रग, चरस माफिया सरेआम धंधा रहा है।

         इंडस्ट्री कोई आ नहीं रही है,  बेरोजगारी चरम पर है।  हफ्ता वसूली प्रथा  चालू  है, ट्रांसफर माफिया कहीं भी देखा जा सकता है। 

       ठेकेदारी प्रथा चल रही है,  हर धंधे में पत्ती रखी जा रही है।   रिश्वतखोरी के केस में सत्ताधारी  बीजेपी पार्टी के अध्यक्ष तक को इस्तीफा देना पड़ा। 

           कर्मचारियों को डीए नहीं दिया जा रहा है, एनपीएस कर्मचारियों की बात सुनी नहीं जा रही है, आउटसोर्स कर्मचारी ठगे जा रहे हैं।  साढ़े 3 साल में कर्मचारियों की एक भी जेसीसी बैठक नहीं हुई है।

           यानी कि सारे हिमाचल प्रदेश में अफरा-तफरी फैली हुई है और गवर्नर महोदय सरकार के इशारे पर पूरा भाषण न पढ़, पहला और आखरी पेज पर खानापूर्ति की रस्म अदायगी कर रहे हैं।

         जब विपक्ष के नेता इस पर आवाज उठाते  हैं तो उनकी आवाज को तानाशाही तरीके से दबाने का प्रयास करते हैं  और विधानसभा उपाध्यक्ष धक्का-मुक्की करते हैं।।  जब विपक्ष के नेता और  विधायकों पर केस बनाया गया तो फिर सत्तापक्ष के विधायकों पर, जिन्होनें गुंडागर्दी की, केस क्यों नहीं बनाया।

          परन्तु शांतिप्रिय हिमाचल में ऐसा कतई नहीं होने दिया जाएगा।  विपक्ष को जनता की आवाज रखने का हक है और इस हक को हम बखूबी निभाएंगे।


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